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Updated: Jul 16

वृद्धि और विकास में अन्तर -



वृद्धि

विकास

वृद्धि शब्द का उपयोग उन बदलावों के लिए किया जाता है जो मात्रात्मक (Quantitative) होते हैं, जैसे कि बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ उसके आकार, लंबाई, ऊँचाई और वजन में होने वाले रोमांचक परिवर्तन!

विकास का मतलब उन सभी बदलावों से है, चाहे वो मात्रा में हों या गुणवत्ता में, जो किसी व्यक्ति की पूरी जिंदगी में नजर आते हैं।

वृद्धि शब्द को आमतौर पर एक सीमित अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है। यह शब्द सभी तरह के बदलावों में से सिर्फ मात्रा में होने वाले बदलावों को ही बताता है।

विकास शब्द में बहुत सारे मतलब छुपे होते हैं। वृद्धि उसी का एक हिस्सा है। विकास में वृद्धि अपने आप शामिल हो जाती है क्योंकि इसे हर तरह के बदलावों को दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

वृद्धि की प्रक्रिया एक ऐसी है जो एक खास उम्र में शारीरिक और मानसिक परिपक्वता हासिल करने के बाद रुक जाती है। मतलब, यह पूरी जिंदगी नहीं चलती।

विकास तो एक ऐसा सिलसिला है जो हमेशा चलता रहता है। ये जन्म से शुरू होकर जिंदगी के आखिरी पल तक चलता है। ये परिपक्वता हासिल करने पर भी रुकता नहीं है।

वृद्धि शब्द का उपयोग व्यक्ति के शरीर के किसी अंग जैसे हाथ या पैर, तथा व्यवहार के किसी पक्ष जैसे मानसिक योग्यताओं में आए परिवर्तनों को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है।

विकास का मतलब सिर्फ किसी एक अंग या व्यवहार में बदलाव से नहीं है, बल्कि यह पूरे व्यक्तित्व में होने वाले सभी बदलावों को एक साथ दिखाता है।

बढ़ने की प्रक्रिया में जो बदलाव होते हैं, वे आमतौर पर मापे जा सकते हैं और ध्यान से देखे जा सकते हैं। जैसे, बच्चे की ऊंचाई बढ़ती हुई आसानी से नजर आती है और उसकी लंबाई मापी जा सकती है।

जब विकास के चलते हुए बदलावों को सीधे-सीधे देख या माप नहीं सकते, क्योंकि इनमें मात्रा और गुण दोनों के बदलाव मिले होते हैं। ऐसे मिश्रित बदलावों को खास मनोवैज्ञानिक तरीकों से ही मापा जा सकता है।

बढ़ना हमेशा विकास का मतलब नहीं होता। जैसे, अगर वजन बढ़ जाए तो शरीर का भार तो बढ़ जाता है, लेकिन इससे इंसान की काम करने की क्षमता में कोई खास सुधार नहीं होता।

हालांकि विकास हमेशा वृद्धि से जुड़ा नहीं होता। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी शारीरिक वृद्धि काफी धीमी होती है, यानी वे कद, आकार और वजन में ज्यादा नहीं बढ़ पाते। लेकिन उनके व्यक्तित्व का विकास होता रहता है। वे भावनात्मक और सामाजिक रूप से परिपक्व हो जाते हैं और उनमें अच्छी-खासी काम करने की क्षमता भी आ जाती है।
















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